Exclusive: संगठन में अपने विरोधियों पर गरजे हरीश रावत, कही ये बड़ी बात, देखें वीडियो
Cricket Loversजनवरी 24, 2022
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गोवा, मणिपुर, पंजाब और उत्तर प्रदेश के साथ उत्तराखंड में भी चुनावी बिगुल बज चुका है। इसी बीच अपने दर्शकों की मांग पर उत्तराखंड का मिज़ाज जानने के लिए News24 ने आयोजित किया Uttarakhand Conclave 2022, जहां प्रदेश की राजनीति से जुड़ी कई दिग्गज हस्तियों और विभिन्न दलों के प्रतिनिधियों के साथ कई वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक ने भी शिरकत की। हालांकि कोविड-19 से जुड़ी गाइडलाइन्स के मद्देनज़र ये पूरा कार्यक्रम वर्चुअली ही आयोजित किया गया।
इस कॉनक्लेव में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत भी जुड़े। पूर्व सीएम रावत से न्यूज़ 24 की तरफ से संदीप चौधरी खास बातचीत की। इस एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में संदीप चौधरी ने रावत से विपक्ष की मौजूदा रणनीतियों से लेकर कांग्रेस की अंदरूनी फूट से जुड़े
वे तमाम सवाल पूछे, जिनके जवाब जनता जानना चाहती है।
इस बातचीत के दौरान कांग्रेस की अंदरूनी रस्साकशी और पार्टी के मुख्यमंत्री चेहरे से जुड़े सवाल पर हरीश रावत ने अपने एक पुराने ट्वीट का हवाला देते हुए कि- एक ढांचा पहले से मौजूद था, लेकिन उससे रणक्षेत्र में अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा था। इसलिए अपनी बात कही। जब हाईकमान ने कोई दायित्व दिया है तो दूसरे लोगों को सहयोग करना चाहिए, ना कि वे चैंक एंड बैलेंस करें। युद्धकाल में ऐसा करना ठीक नहीं।
यहां पेश हैं इस खास चर्चा के अन्य संपादित अंश-
उत्तराखंड में वरिष्ठ नेता होने के बावजूद कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित ना किए जाने के सवाल पर रावत ने जवाब दिया- जब कहा गया है कि चुनाव हमारे नेतृत्व में लड़ा जाएगा, अब तो सभी लोगों की शुभकामना चाहिए। क्रिकेट में भी कई तरह के फॉर्मेट आ गए हैं, इसी तरह उत्तराखंड में भी नई तरह की बॉल के साथ मैच हो रहा है तो पार्टी ने कहा है कि
हरीश रावत अनुभवी बेट्समैन हैं, इसलिए जाकर रन बनाओ तो मैं रन बना रहा हूं। बाकी का निर्णय पार्टी नेतृत्व के हाथ में हैं। जैसे भगवान से मांगते हैं, और देना ना देना भगवान के हाथ। ठीक वैसे ही पार्टी के नेतृत्व से मांगेंगे, जो मिलेगा, सब मंजूर।
वहीं संदीप चौधरी द्वारा पंजाब और उत्तराखंड में कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान से जुड़ी तुलना करने पर रावत का कहना था- अमरिंदर सिंह की हालत तो बहुत बेहतर थी। पार्टी को उन पर पूरा विश्वास था। सत्ता उनके हाथ थी। लेकिन वे चुनावी आवश्यकता के हिसाब से कुछ करने के लिए तैयार नहीं थे। इसलिए उनके साथी बहुत हिचकिचा गए थे। बेअदबी के मामले में उनके मंत्रीमंडल में ही विद्रोह की ही स्थिति बन गई। उन्हें एक एजेंडा बनाकर भी दिया गया। लेकिन पता नहीं किस के इशारे पर अमरिंदर सिंह उन बातों को आगे बढ़ाने पर अमादा थे। विधायकों ने उन्हें अपनी बैठक में बुलाया, लेकिन वे राज्यपाल को इस्तीफा सौंप आए।
हाल ही में भाजपा से फिर से कांग्रेस में घरवापसी करने वाले हरक सिंह रावत को लेकर हरीश रावत ने कहा कि हरक सिंह हमारे छोटे भाई जैसे, इसलिए बड़े भाई के नाते हम उन्हें कुछ कह सकते हैं। ये कोई ऐसी बात नहीं है। अब वे पार्टी के सम्मानित सहयोगी हैं। वे चीजों को सुधारना चाहते हैं। जिस पार्टी को उनकी वजह से नुकसान हुआ, अब वे उसकी मदद करने के लिए कोशिश करना चाहते हैं। जब कांग्रेस को ज़रूरत होगी तब हरक सिंह रावत जरूर काम आएंगे।
चुनाव ना लड़ने जैसे ऐलान को लेकर हरीश रावत ने कहा- 'कभी नहीं कहा कि चुनाव नहीं लड़ुंगा। कभी निर्णायक बात नहीं करता, क्योंकि ये मेरे हाथ में नहीं है। जब पार्टी किसी व्यक्ति में निवेश करती है, तो ये उसी पर निर्भर करता है कि किस तरह उससे लाभ उठाती है। मैं हां या ना नहीं कह सकता। मेरा डीएनए ये कहता है कि मैं पार्टी के साथ जुड़ा रहूं। चाहे कुछ मिले या ना मिले। मुझे तो अब तक बहुत कुछ मिला है पार्टी से, इसलिए कभी कोई शिकायत नहीं रही।'
आगामी चुनाव में कांग्रेस को मिलने वाली संभावित सीटों की संख्या से जुड़े सवाल पर रावत ने विरोधियों पर प्रहार करते हुए कहा 'दाता के सामने हाथ जोड़कर खड़े हैं, लेकिन इतनी सीटें मिल जाएं कि चाहे विजय बहुगुणा हों, या उनके आका, कोई भी कुछ गड़बड़ करना चाहें तो कोई परेशानी ना आए।
भाजपा द्वारा उत्तराखंड में तीन मुख्यमंत्री बदलने से ज्यादा कांग्रेस की अंदरूनी खींचतान की चर्चा से जुड़े सवाल पर रावत ने कहा, 'भाजपा में निराशा है। भगदड़ है। लोग जान गए हैं कि डबल इंजन की सरकार धोखा है। उत्तराखंड के हाथ निराशा लगी, विकास रुका। लोकतंत्र को नुकसान पहुंचा है। हम में कोई आंतरिक कलह नहीं है। हम में और भाजपा में यही अंतर है । एक पार्टी को तीन-तीन मुख्यमंत्री बदलने पड़े। क्या उनमें आंतरिक कलह नहीं है?'
यहां देखिए ये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू-
बता दें कि हर बार की तरह इस बार भी उत्तराखंड में एक चरण में ही वोटिंग होगी। उत्तराखंड में 14 फरवरी को वोटिंग होगी। जबकि अन्य राज्यों के साथ उत्तराखंड में भी 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी।
उत्तराखंड़ की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को वोटिंग
आपको बता दें, उत्तराखंड़ की सभी 70 विधानसभा सीटों पर 14 फरवरी को चुनाव होंगे। चुनाव आयोग की घोषणा के मुताबिक प्रदेश में एक ही चरण में चुनाव होंगे और 10 मार्च को वोटों की गिनती होगी। जिसके बाद यह साफ हो जाएगा कि जनता ने इस बार किस पार्टी को सत्ता की चाबी सौंपी है।
उत्तराखंड में 8143922 मतदाता डालेंगे वोट
चुनाव आयोग के मुताबिक मुताबिक पूरे प्रदेश में 81 लाख 43 हजार 922 मतदाता हैं, जिसमें 42 लाख 24 हजार 288 पुरुष, 39 लाख 19 हजार 334 महिला मतदाता हैं। जबकि पूरे प्रदेश में 93 हजार 964 सर्विस मतदाता हैं। इस बार 2 लाख 97 हजार 922 नए मतदाता बने हैं और इस बार के विधानसभा चुनाव में 18 से 19 साल के एक लाख 11 हजार 458 युवा मतदाता बने हैं।
23 मार्च को खत्म हो रहा है उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल
आपको बता दें कि 70 सीटों वाली उत्तराखंड विधानसभा का कार्यकाल 23 मार्च को खत्म हो रहा है। राज्य में 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 57 सीट जीतकर प्रचंड बहुमत के साथ सरकार बनाई थी जबकि विपक्षी दल कांग्रेस को महज 11 सीटें मिली थीं। त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन चार साल बाद उन्हें हटाकर बीजेपी ने पहले तीरथ सिंह रावत और महज कुछ महीने बाद पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया।