
टीम इंडिया ने 12 साल बाद चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीत लिया है. अब तीसरी बार इसे जीतने के साथ ही भारतीय टीम इस टूर्नामेंट की सबसे सफल टीम भी बन गई है. पूरे टूर्नामेंट में बिना हारे टीम इंडिया ने इस ट्रॉफी को जीता है. इस सफलता में टीम के हेड कोच गौतम गंभीर का बड़ा योगदान है. उन्होंने टूर्नामेंट के दौरान 5 बड़े ऐसी चाल चली, जिसके सामने सभी टीमें चित हो गईं. उनके इन्हीं अहम फैसलों की वजह से भारत टूर्नामेंट का चैंपियन बना. आइए जानते हैं गंभीर के इन 5 फैसलों के बारे में.
अक्षर पटेल को नंबर-5 पर लाना
वनडे क्रिकेट में आम तौर पर अक्षर पटेल निचले क्रम में बैटिंग करते हैं, लेकिन गौतम गंभीर ने इस टूर्नामेंट में उनकी बैटिंग पोजिशन बदलकर नंबर 5 कर दी. इससे गंभीर की खूब आलोचना हुई, लेकिन अंत में यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ. इससे टीम इंडिया के बैटिंग लाइनअप में संतुलन आ गया. साथ ही बल्लेबाजी में गहराई आ गई. अक्षर ने मिडिल ऑर्डर में बाएं हाथ के बल्लेबाज की कमी पूरी की और तुरुप के इक्के की तरह काम किया. करीब हर मैच में उन्होंने छोटी मगर असरदार पारियां खेली.
केएल राहुल को बनाया फिनिशर
केएल राहुल पहले नंबर 5 पर खेलते आ रहे थे. वो मिडिल ओवर्स में टीम को संभालते थे. लेकिन गंभीर ने ये जिम्मेदारी अक्षर को दी और राहुल को फिनिशर की भूमिका निभाने को कहा. उनके इस फैसले पर भी जमकर बवाल मचा, लेकिन यह टूर्नामेंट में गेम चेंजिंग साबित हुआ. राहुल के नीचे आने से ड्रेसिंग रूम का तनाव भी कम हो गया था. इस बात को विराट कोहली और रोहित शर्मा ने भी माना. पहले ही मैच में राहुल ने नाबाद 41 रन बनाकर टीम को मैच जिताया था. फिर सेमीफाइनल में भी उन्होंने नाबाद 42 रन बनाए और फाइनल में 33 गेंद में नाबाद 34 रन बनाकर टीम को विजयी बनाया.
वरुण चक्रवर्ती को आखिरी समय पर एंट्री
चैंपियंस ट्रॉफी के स्क्वॉड में पहले 4 स्पिनरों को रखा गया था. लेकिन गौतम गंभीर ने आखिरी समय पर यशस्वी जायसवाल को बाहर करके वरुण चक्रवर्ती की एंट्री करा दी. हर कोई गंभीर के इस फैसले के खिलाफ था. टीम में ज्यादा 5 स्पिनर रखे जाने को लेकर सवाल उठाए गए. लेकिन ग्रुप स्टेज में न्यूजीलैंड, फिर सेमीफाइनल और फाइनल में वरुण चक्रवर्ती ही एक्स फैक्टर साबित हुए. उन्हें पढ़ना हर बल्लेबाज के लिए मुश्किल हो गया था.
नतीजा रहा कि ग्रुप स्टेज के दौरान न्यूजीलैंड के खिलाफ उन्होंने 5 विकेट और सेमीफाइनल में ट्रेविस हेड समेत 2 अहम विकेट चटकाए. वहीं फाइनल में जब भारतीय टीम पहले विकेट के लिए तरस रही थी, तब वरुण ने ही आकर विल यंग को आउट किया और साझेदारी तोड़ी. इसके बाद उन्होंने तूफानी बैटिंग करने वाले ग्लेन फिलिप्स को भी आउट किया. इस तरह खिताबी मुकाबले में वरुण ने 10 ओवर में 45 रन देकर 2 विकेट चटकाए. इतना ही नहीं, सिर्फ 3 मैचों में 9 विकेट लेकर वो पूरे टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज भी रहे.
4 स्पिनरों का जाल
वनडे में आमतौर पर कोई भी टीम 2 स्पिनरों को खिलाती है. पिच ज्यादा मददगार होने पर कई बार 3 स्पिनर भी देखने को मिलते हैं. लेकिन दुबई की पिच और कंडीशन को देखते हुए गंभीर ने टूर्नामेंट के दूसरे हाफ में अपने 5 में से 4 स्पिनरों को उतारने का फैसला किया, जिसका फायदा भारत को हुआ. ये सभी स्पिनर ही मैच विनर बने. इनके खिलाफ रन बनाना मुश्किल हो गया था. हर मैच में इनके 40 ओवरों की बदौलत टीम इंडिया ने विरोधी टीम को धूल चटा दी.
हर्षित राणा को टीम में लाना
चैंपियंस ट्रॉफी से ठीक पहले जसप्रीत बुमराह इंजरी की वजह से स्क्वॉड से बाहर हो गए थे. इसके बाद गंभीर ने मौका देखते ही पहले हर्षित राणा को स्क्वॉड में शामिल किया. फिर उन्हें प्लेइंग इलेवन में जगह दी. हर्षित को चुने जाने पर एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाए थे. अनुभव की कमी होने के कारण सभी का मानना था कि उनकी जगह मोहम्मद सिराज को चुना जाना चाहिए था.
वहीं हर्षित जब टीम में चुन लिए गए तो उनकी जगह बाएं हाथ के अर्शदीप सिंह को खिलाने पर बहस छिड़ी, क्योंकि टी20 वर्ल्ड कप 2024 में वो अपना कमाल दिखा चुके थे. लेकिन गंभीर ने किसी की नहीं सुनी और हर्षित राणा को तरजीह दी. हर्षित ने दो मैच खेले और दोनों में जबरदस्त प्रदर्शन किया. उन्होंने अहम मौकों पर टीम के लिए विकेट चटकाए.
source https://www.tv9hindi.com/sports/cricket-news/gautam-gambhir-five-big-decisions-which-helped-team-india-win-champions-trophy-2025-3164741.html